Friday, 28 August 2020
Friday, 13 December 2019
DHANBAD (JHARKHAND)
List Of Subjects Offered Under BINOD BIHARI MAHATO KOYLANCHAL UNIVERSITY
List Of Subjects Offered Under BINOD BIHARI MAHATO KOYLANCHAL UNIVERSITY, DHANBAD (JHARKHAND)
BINOD BIHARI MAHATO KOYLANCHAL UNIVERSITY, DHANBAD (JHARKHAND)
List Of Subjects Offered Under BINOD BIHARI MAHATO KOYLANCHAL UNIVERSITY, DHANBAD (JHARKHAND)
Wednesday, 27 November 2019
तेतुलगुड़ी गांव में शहीद शक्तिनाथ महतो का जन्म हुआ था।
तेतुलगुड़ी गांव में शहीद शक्तिनाथ महतो का जन्म हुआ था।
02 अगस्त 1948 को झारखंड के धनबाद के तेतुलगुड़ी गांव में शहीद शक्तिनाथ महतो का जन्म हुआ था। इनके पिता का नाम श्रीगणेश महतो तथा माता का नाम सधुवा देवी था। इन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा जोगता प्राथमिक विद्यालय एवं गांधी स्मारक विद्यालय से पूर्ण की। मगर अधिकतर समय खेत-खलिहान में बीतने और गरीबी के कारण इनकी आगे की पढ़ाई बंद हो गई। इसके बाद उन्होंने धनबाद आईटीआई में फीटर ट्रेड में दाखिला लिया और परीक्षा पास कर कुमारधुबी कारखाना में ट्रेनिंग का कोर्स पूरा कर मुनीडीह प्रोजेक्ट में नौकरी कर ली और परिवार की देखरेख में लग गए।
इनका राजनैतिक जीवन 1971 ई0 से शुरू हुआ। उन दिनों गांव में महाजन, सूदखोर और लठैतों का राज था। माफिया क्षेत्र धनबाद में उनके तगादेदारों के आतंक से उस क्षेत्र के सिर्फ कोयला मजदूर ही नहीं, बल्कि गांव में रहनेवाले खेतिहर किसान और खेत मजदूर भी त्रस्त थे। ना सिर्फ मेहनत की कमाई लूटी जाती थी, बल्कि घरों के बहू-बेटियों के आबरू पर भी धावा बोला जाता था। कोलियरी के दादाओं के पालित पहलवान रात्रि पहर गांवों में घुस जाते और गाड़ी बोजवाने के लिए घर से औरतों को खींच निकालते। चारों ओर जुल्मी ट्रेड यूनियनों के माध्यम से लूट खसोट मचा हुआ था। जिधर देखो उधर किसानों, मजदूरों के शोषण का तांडव था। गरीब जनता बिहार और यूपी के मुच्छर लठैतों के अलावे पूर्व बंगाल से आए हुए चतुर चंट, साम्यवाद को अपनी जेब में रखकर घूमने वाले, संगठन को अपनी निजी संपत्ति की तरह चलाने वाले ट्रेड यूनियन नेताओं के शोषण का शिकार थी। इन सब पर न सिर्फ प्रशासन के भ्रष्ट अफसरों की कृपा थी बल्कि निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के कोयला खदान मालिकों और बड़े व्यवसाइयों का भी वरदहस्त था।
शक्तिनाथ महतो से ये सब कुछ देखा नहीं गया। लोगों का दर्द और उनपर हो रहे अन्याय और अत्याचार वो बरदाश्त नहीं कर पाये। उन्होंने उन सभी शोषित पीड़ित किसानों और मजदूरों को एकजुट और संगठित करना शुरू किया। दबे कुचले लोगों में साहस का संचार किया और उन्हें शोषण का प्रतिवाद करना सिखाया। हर शाम नौकरी के बाद पीड़ितों को गांव गांव जाकर ढाढ़स बंधाते हुए उनके आत्मविश्वास को जगाया, उन सब में एक नई ऊर्जा का संचार किया। कभी कभी दिन भर भूखे भी रह जाते थे, तो कभी जमीन पर पेपर बिछाकर ही सो जाते थे। अंततः इनका त्याग और मेहनत रंग लाया और हर गांव से सूदखोर, महाजन और लठैत खदेड़े जाने लगे।
इसके बाद इन्होंने जोगता मोदीडीह कोलियरी में यादगार लड़ाई लड़ी।एक ओर खदान मालिकों के जुल्म के विरुद्ध तो दूसरी ओर यूनियनों के नाम पर खून चूसने वालों के खिलाफ जोरदार अभियान चलाया। उधर मुनीडीह में भी उनका अभियान तीव्र गति से चल रहा था। इसी क्रम में ये मुनीडीह कामगार यूनियन के मंत्री चुने गए। इससे जमींदारी की तरह यूनियन चलाने वाले और दबाव के जोर पर जबर्दस्ती चंदा वसूलने वाले स्थापित नेताओं की आमदनी का सिलसिला थम गया। इससे इनके दुश्मनों में बौखलाहट होने लगी और इसी बौखलाहट में 23 मई को मुनीडीह में कुछ गुण्डों द्वारा इनके तीन साथियों बिरजू महतो, हरिपद महतो आदि की हत्या कर दी गई। इसी दौरान इंदिरा गांधी के आपातकाल में मौका पाकर प्रशासन ने एक मीसा लगाकर इन्हें जेल में बंद कर दिया।
ये धनबाद से शुरू होकर मुजफ्फरपुर जेल और भागलपुर सेंट्रल जेल में 22 महीने तक कैद में रहे। इसके बाद 1977 ई0 में एमपी चुनाव के बाद जब जनता पार्टी सत्ता में आई, तो सभी मीसाबंदियों के साथ शहीद शक्तिनाथ महतो को भी जेल से छोड़ा गया। जेल से छूटने के बाद ये विधानसभा के चुनाव में टुन्डी क्षेत्र से उम्मीदवार के रूप में लड़े, लेकिन तोड़फोड़ की राजनीति के वजह से अपने ही कुछ साथियों के पाला बदलने के कारण वो हार गए।
इसी बीच इनकी कर्मठता एवं संघर्षशीलता की वजह से ये के. सी. आर. तीलाटांड़ के कामगार यूनियन के भी मंत्री (सचिव) चुन लिए गए। अब तो चारों ओर जिले के हर कोने में शक्तिनाथ महतो का ही नाम गूंजने लगा। इनके क्रियाकलाप से कम्पनी को मनमर्जी ढंग से चलने में मुश्किलें आने लगी। इससे मैनेजमेंट सकपकाया और ट्रेड यूनियन माफिया भी हरकत में आई। नतीजा ये हुआ, कि मैनेजमेंट, यूनियन, गुंडा और प्रशासन सबकी मिली भगत से 28 नवंबर 1977 को झारखंड के इतिहास का वो काला अध्याय लिखा गया, जो युगों युगों तक अमर रहेगा। उस दिन सिर्फ शक्तिनाथ महतो की ही हत्या नहीं हुई, बल्कि गरीबों, शोषितों, पीड़ितों के एक सच्चे रहनुमा का भी कत्ल हुआ, हैवानियत के हाथों इंसानियत का अंत हुआ।
धनबाद का बच्चा बच्चा जानता है, कि शक्तिनाथ महतो की हत्या में किस-किस का हाथ था, लेकिन सबूत के अभाव में प्रशासन केवल धर-पकड़ का नाटक मात्र ही करता रहा और असली हत्यारे कूटनीति, बाहुबल और धनबल के सहारे कभी पकड़े नहीं गए। वो आज भी कहीं गरीबों का खून चूस रहे होंगे और मजे से अपनी जिंदगी गुजार रहे होंगे। शक्तिनाथ महतो ने कहा था - "यह लड़ाई लम्बी होगी और कठिन भी। इसमें पहली पीढ़ी के लोग मारे जाएंगे, दूसरी पीढ़ी के लोग जेल जाएंगे और तीसरी पीढ़ी के लोग राज करेंगे, जीत अन्ततोगत्वा हमारी ही होगी।"
लड़ाई यकीनन लम्बी चली। कई लोग मारे भी गये, कई लोगों को जेल भी जाना पड़ा, लेकिन क्या वाकई में हमें राज मिला? क्या उनके सपने पूरे हुए? क्या उनकी कुर्बानी रंग लाई? क्या हमें शोषण से मुक्ति मिल पाई? या सब कुछ पहले की ही तरह चल रहा है, सिर्फ तरीके बदल गये हैं? ऐसे ही कई सवाल आप सब के भी जेहन में घूमते होंगे, जिसका जवाब भी आप सबको खुद ही ढ़ूंढ़ना होगा और समाधान भी खुद ही निकालना होगा। आइए हम सब आज एक प्रण लें और शहीद शक्तिनाथ महतो के आदर्शों से कुछ सीख लें और एकजुट और संगठित होकर हर मुश्किल का डटकर मुकाबला करें। यकीन मानिए, हम जरूर कामयाब होंगे, हमारी जीत जरूर होगी।
वीर शहीद शक्तिनाथ महतो अमर रहे !
जय कुड़मी ! जय आदिवासी !!
जय झारखंड ! जय भारत !!
प्रसेनजीत महतो काछुआर
Wednesday, 26 September 2018
झारखंड राज्य के अस्तीत्व मे आए लगभग सतरह साल हो गये पर आज भी झारखंडी समाज खासकर कुडमी समाज अपने को ठगा महशुस कर रहा है ।झारखंड राज्य का एक तिहाई जनसंख्या वाला कुडमी समूदाय ने झारखंड अलग राज्य की लडाई मे सबसे महत्वपुर्ण भुमिका निभाई ,सबसे अधिक कुर्वानिया दी ,पर उसे मिला क्या ??इसका जवाब आज किसी के पास नही है ।अति हमेशा परिवर्तन की सुत्रपात का कारण बनती है ।आज कुडमी जाती अपने को ठगा महशूस कर रही है ।इस हताशा और रोष ने वौद्धीक वर्ग खाशकर शिक्षक वर्ग को सोचने पर विबस कर दिया है ।आज इसकी एक झलक बोकारो जिला कुडमी शिक्षक समागम मे देखने को मिलि । इस समागम से निकली वैचारीक चिनगारी निश्चित रूप से पुरे झारखंड मे फैलेगी जो झारखंडी समाज मे बहुत बडे परिवर्तन की अगाज का कारण बनेगी ।आज इस समागम मे पहुचे शिक्षको की संख्या देखकर सहज ही कोई भी प्रवुद्ध व्यक्ति सहज ही इसका अनुमान लगा सकता है ।अगर ये आयोजन झारखंडी समाज मे एक सुखद परिवर्तन का कारण बनती है तो निश्चित रूप से ये आयोजन एक ऐतिहासीक आयोजन कहलाएगा ।
🙏🏻जइ हड़ जहार महामाञ जहार बुढ़ा बाबा🙏🏻
देश के प्रथम स्वतंत्रता आंदोलनकारी चुआड़/चुहाड़ (कुड़मी) विद्रोह
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पंचकोट का इतिहास
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History of Kudmi
By:Dr Rakesh Mahto
Tuesday, 25 September 2018
BINOD BIHARI MAHATO KOYLANCHAL UNIVERSITY
DHANBAD (JHARKHAND)
BINOD BIHARI MAHATO KOYLANCHAL UNIVERSITY, DHANBAD (JHARKHAND)
BINOD BIHARI MAHATO KOYLANCHAL UNIVERSITY, DHANBAD (JHARKHAND)
Binod Bihari Mahto Koylanchal University, Dhanbad was established on 13th November 2017 by the Government of Jharakhand. The University has 10 Constituents and 43 Affiliated College (including B.Ed. Colleges), one Govt. Engineering College and one Govt. Medical College spread in Dhanbad and Bokaro districts of Jharkhand, with its headquarter at Dhanbad. The University offers Undergraduate and Postgraduate courses with 21 Postgraduate Departments, which includes the Department of Management, Education, Mass Communication, Art & Culture, Law, Foreign Languages, Life Science, Computer Science, and Environmental Science & disaster Management.
Sunday, 23 September 2018
इस यूनिवर्सिटी के खुलने से सबसे ज्यादा फायदा धनबाद और बोकारो के छात्र-छात्राओं को होगा.
धनबाद में विनोद बिहारी महतो कोयलांचल यूनिवर्सिटी जल्द शुरू हो जाएगी. नवंबर में मुख्यमंत्री रघुवर दास ने यूनिवर्सिटी का शिलान्यास किया था. इइस यूनिवर्सिटी के खुलने से सबसे ज्यादा फायदा धनबाद और बोकारो के छात्र-छात्राओं को होगा.
धनबाद में यूनिवर्सिटी की मांग कई सालों के हो रही थी लेकिन इस मांग को पूरा किया मुख्यमंत्री रघुवर दास ने. नवंबर 2017 में मुख्यमंत्री ने यूनिवर्सिटी का शिलान्यास किया
और अब यूनिवर्सिटी इसी सत्र से काम करने लगेगी. साथ ही 2020 तक पूरी तरह से बनकर तैयार हो जाएगा. 48 कॉलेज इस यूनिवर्सिटी के अधीन काम करेंगे.
धनबाद में जल्द यूनिवर्सिटी खुलने से सबसे ज्यादा खुशी धनबाद और बोकारो के छात्र-छात्राओं को है.
यूनिवर्सिटी खुलने से धनबाद बोकारो के करीब एक लाख छात्र-छात्राओं को फायदा होगा. मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कोयलांचल के लोगों से किया वादा पूरा कर दिया है.
Sunday, 16 September 2018
Binod Bihari Mahto Jharkhand
Binod Bihari Mahto Quotes
बिनोद बिहारी महतो
झारखण्ड आंदोलन के मसीहा बिनोद बिहारी महतो के निधन एवं प्रभाव :Binod Bihari Mahto Jharkhand
झारखण्ड आंदोलन के मसीहा बिनोद बिहारी महतो के निधन एवं प्रभाव :Binod Bihari Mahto Jharkhand
बिनोद बिहारी महतो जब पहली बार सांसद पहुँचे, तो कई काँग्रेस के नेता एवं मंत्री उनसे बात करने के लिए उनके पास गये । श्री नरसिंहा राव उस समय काँग्रेस सरकार के प्रधानमंत्री थे। श्री राजीव गाँधी को लोक सभा चुनाव के दौरान ही प्रचार के समय चिकमंगलूर में हत्या कर दी गई थी। वरना श्री राजीव गाँधी ही पुनः भारत के प्रधानमंत्री बनते । पर ऐसा नहीं हुआ। पर नरसिंहा राव ने झारखण्ड आन्लोलन के विषय में सोचना छोड़ा नहीं था। स्व0 राजीव राजीव गाँधी ने अपने कार्यकाल में “झारखण्ड मामलों से संबंधित समिति” का गठन किया था, जिसका जिक्र हमने पहले ही किया है। इसकी रिपोर्ट जो मई 1990 में तैयार की गई, रखी हुई थी। 1991 में लोक-सभा चुनाव मई तक सम्पन्न हो सका था। राजीव गाँधी के समान ही झारखंड आन्दोलन एवं इसके प्रभावों की जानकारी श्री नरसिंह राव को थी और वे इसे एक मुकाम देना चाहते थे।