झारखंड राज्य के अस्तीत्व मे आए लगभग सतरह साल हो गये पर आज भी झारखंडी समाज खासकर कुडमी समाज अपने को ठगा महशुस कर रहा है ।झारखंड राज्य का एक तिहाई जनसंख्या वाला कुडमी समूदाय ने झारखंड अलग राज्य की लडाई मे सबसे महत्वपुर्ण भुमिका निभाई ,सबसे अधिक कुर्वानिया दी ,पर उसे मिला क्या ??इसका जवाब आज किसी के पास नही है ।अति हमेशा परिवर्तन की सुत्रपात का कारण बनती है ।आज कुडमी जाती अपने को ठगा महशूस कर रही है ।इस हताशा और रोष ने वौद्धीक वर्ग खाशकर शिक्षक वर्ग को सोचने पर विबस कर दिया है ।आज इसकी एक झलक बोकारो जिला कुडमी शिक्षक समागम मे देखने को मिलि । इस समागम से निकली वैचारीक चिनगारी निश्चित रूप से पुरे झारखंड मे फैलेगी जो झारखंडी समाज मे बहुत बडे परिवर्तन की अगाज का कारण बनेगी ।आज इस समागम मे पहुचे शिक्षको की संख्या देखकर सहज ही कोई भी प्रवुद्ध व्यक्ति सहज ही इसका अनुमान लगा सकता है ।अगर ये आयोजन झारखंडी समाज मे एक सुखद परिवर्तन का कारण बनती है तो निश्चित रूप से ये आयोजन एक ऐतिहासीक आयोजन कहलाएगा ।
🙏🏻जइ हड़ जहार महामाञ जहार बुढ़ा बाबा🙏🏻
देश के प्रथम स्वतंत्रता आंदोलनकारी चुआड़/चुहाड़ (कुड़मी) विद्रोह
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पंचकोट का इतिहास
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History of Kudmi
By:Dr Rakesh Mahto
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