बीसीसीएल की मुकून्दा प्रोजेक्ट ।इसके लिए 1771 एकड जमीन अधिग्रहित की गई थी ।मुआवजे के रूप मे 12रू80पैसा प्रती डिसमिल के हिसाब से मुआवजा दिया गया था और 271 लोगो को नोकरी दी गई थी ।बीसीसीएल के हिसाब से ही देखा जाए तो प्रती दो एकड पर एक नोकरी के हिसाब से ही अगर नोकरी दी जाए तो कम से कम 876लोगो को नोकरी मिलनी चाहिए थी पर मिली मात्र 271 लोगो को ।बाकि नोकरी के मामले मे बीसीसीएल चुप है ।समझ सकते है देश के बाकि राज्य मे भूमिअधिग्रहन होने पर जहा लाखो रूपये प्रति डिसमिल के दर से मुआवजे का भुगतान किया जाता है वही झारखंड की जमीन अधिग्रहण क
पर मुआवजा 12रू 80पैसा ।समझ सकते है 12रू किलो आलू नही मिलती है और बीसीसीएल 12रू डिसमिल जमीन ले रही है ।नोकरी भी नाम मात्र की ।बीसीसीएल बिहारी अतिक्रमणकारी के पुनर्वास पर जहा अरबो रू खर्च कर रही है वही असली विस्थापित के लिए कोई पुनर्वास की आवश्यकता महसूस नही करती है ।सरकार, अफसर, सभी माननीय नेतागण चुप है ।इस अधिग्रहित जमीन पर किसी भी प्रकार का कोई कार्य नही हुआ है क्योकि परियोजना ही रद्द हो गई है ।नयी भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के अनुसार अगर भू-अधिग्रहण के पाच साल के भीतर निर्माण कार्य शुरू नही होने पर अधिग्रहित जमीन मूल रैयत को वापस करने का प्रावधान है ।पर बीसीसीएल टाल मटोल कर रही है ।क्या बीसीसीएल आपने आप को कानून और संविधान से भी उपर समझती है?
Rakesh Mahato
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